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जून 1, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आत्मनिर्भर राहत पैकेज मजदूरों को तत्कालीन राहत देने में असमर्थ रहा।

आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा होते ही अप्रवासी मजदूरों की वर्तमान उम्मीदों को एक और झटका लगा। क्योंकि आत्मनिर्भर पैकेज में जो घोषणायें की गई हैं। वह सभी मजदूरों को तुरंत राहत देने वाली नजर नहीं आ रहीं है। सरकार द्वारा की गई घोषणाओं में भविष्य पर ज्यादा जोर दिया गया है। जबकि सरकार द्वारा  अभी आम गरीब जनता और मजदूरों को सबसे पहले उनके घर पहुंचाना और उनको भरण पोषण के लिए आवश्यक सामान उपलब्ध कराया जाना सबसे ज्यादा जरूरी था। साथ ही सरकार को मजदूरों को अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए नकद पैसे देने की घोषणा भी पैकेज में करनी चाहिए थी। क्योंकि अभी तक मजदूरों को जो कुछ भी आर्थिक मदद मिली है वह मनरेगा योजना में पंजीकृत मजदूरों तक ही सीमित है। लेकिन सरकार शायद उन तमाम मजदूरों को भूल गई है, जो मनरेगा में पंजीकृत नहीं है। तथा तमाम ठेला चालक, गुमटी वाले, दुकानों पर काम करने वाले मजदूर, फैक्ट्री में कार्यरत लेवर आदि की मदद के लिए कोई भी सरकार अभी तक प्रयास करती हुई दिखाई नहीं दी है। इन सभी वर्ग के मजदूरों को, जो आशा प्रधानमंत्री के संबोधन में 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के जिक्र से बंधी थी,  वह जल्द ही व