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अच्छी खबर : इजरायल ने किया Covid-19 का ईलाज ढूंढने का दावा।

कोरोनावायरस को लेकर पूरा विश्व परेशान है। हर देश में कोरोनावायरस के संक्रमितों की संख्या बढ़ रही हैं। और ईलाज न मिलने के कारण लोग डरे हुए हैं। और इसकी रोकथाम का एकमात्र उपाय लॉक डाउन का हर देश सहारा ले रहा है। साथ ही कई देश और संस्था इन बीमारी के ईलाज ढूंढने में लगी है। जिसमें हर किसी को विशेष सफलता हाथ नहीं लगी है। लेकिन इजरायल द्वारा रविवार-सोमवार को जारी आधिकारिक बयान से लोगों के लिए खासी उम्मीद की किरण जगी है। इजरायल द्वारा जारी बयान में उनको बड़ी सफलता मिलने का दावा किया गया है।  रक्षा मंत्री बेनेट ने कहा, "मुझे इस महत्‍वपूर्ण सफलता के लिए संस्थान के कर्मचारियों पर गर्व है, उनकी रचनात्मकता ने इस उपलब्धि की खोज का मार्ग प्रशस्‍त किया"। पूरे विश्व को ईलाज की उम्मीद बंधी है। पूरी दुनिया को त्रस्त कर देने वाले कोरोनावायरस को हराने वाली वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। इजरायल ने दावा किया है कि Covid-19 के ईलाज को लेकर दुनिया का इंतजार अब खत्म होने ही वाला है। इजरायल ने कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा किया है ।इस बात का आधिकारिक ऐलान इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्नेट किया

अकेले कोविड-19 का ही ईलाज जरूरी है? या अन्य बीमारियों का ईलाज भी निरंतर जारी रखना होगा।

आजकल हर तरफ कोविड-19 का प्रभाव है। इससे कुछ भी अछूता नहीं है। यह प्रभाव अस्पतालों में सबसे ज्यादा है, साथ ही उन अन्य प्रक्रियाओं व सेवाओं पर जो स्वास्थ्य व चिकित्सा से संबंधित हैं। क्योंकि कोविड-19 एक स्वास्थ्य आधारित समस्या है। तो जाहिर सी बात है, कि स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र पर ही इसका सर्वाधिक प्रभाव होगा। लेकिन कई अस्पतालों में कोविड-19 का प्रभाव कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। जैसे कि कई छोटे बड़े शहरों के सरकारी अस्पताल में इस बीमारी के वजह से अन्य रोगों के उपचार की व्यवस्था लगभग खत्म सी ही हो गई है। कई अस्पतालों में तो ओपीडी व्यवस्था ही बंद कर दी गई है। कोविड-19 का प्रभाव इतना ज्यादा है, कि कुछ जिला चिकित्सालय तक में अन्य बीमारियों के मरीजों की भर्ती व ईलाज की प्रकिया को ही लगभग बन्द सा कर दिया गया है। इसके लिए अस्पतालों तथा स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा यह योजना बनाई गई है, कि सिर्फ अति गंभीर स्थिति में ही किसी और बीमारी के मरीज को भर्ती किया जाएगा। बाकि सभी लोग भगवान भरोसे छोड़ दिए गए हैं। इसके अलावा आलम यह है, कि कई जगहों पर वर्षो से लगातार चल रहे बच्चों के टीकाकरण, कई

अधिक विकसित क्षेत्रों में कोरोनावायरस के संक्रमित मरीज ज्यादा मिलने का कारण क्या है?

अभी तक भारत में कोरोनावायरस के 17000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, और आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। अब कोरोनावायरस के मामले पहले की अपेक्षा और तेजी से सामने आ रहे हैं। और विकसित क्षेत्रों में अधिक मामले तेजी से बढ़ रहे ही। जैसे अकेले मुंबई ओर दिल्ली दोनों में ही यह आंकड़ा 2-2 हजार से ज्यादा हो चुका है। जिससे देखने को यह मिला है कि जो शहर- राज्य ज्यादा संपन्न हैं। वहां वायरस का प्रभाव और प्रसार दोनों ही पिछड़े क्षेत्रों की अपेक्षा ज्यादा है। हालांकि हो सकता है कि इस आसामान प्रसार के पीछे कोई कारण न हो, या हो सकता है, है कि कई सारे कारण हों। कोरोनावायरस के ज्यादा विकसित शहरों और राज्यों में ज्यादा प्रभाव का कारण, कोरोनावायरस लैबों की इन क्षेत्रों में ज्यादा या कम मात्रा में उपलब्धता का होना हो सकता है। या अधिक संपन्न शहरों में कोरोनावायरस टेस्टिंग लैब की अधिक संख्या होने से ज्यादा मात्रा में सैंपल की टेस्टिंग हो पाने के कारण ज्यादा सटीक जानकारी का मिलना हो। क्योंकि ज्यादा लैब होने से ज्यादा सैंपल टेस्ट किये जा सकते हैं। जिससे से अधिक से अधिक लोगों की कोरोनावायरस रिपोर्ट तैयार की ज

अब कोरोनावायरस टेस्टिंग भी बढ़ानी होगी सिर्फ लॉकडाउन बढ़ाने से कोरोना नहीं रुकेगा।

सरकार ने लॉकडाउन को आगे बड़ा दिया है, पर सरकार को इसके साथ ही कोरोना जांच की क्षमता को भी बढ़ाना होगा। क्योंकि सिर्फ लॉक डाउन बढ़ाने से काम नहीं बनेगा। सरकार को जांच की और लैब खोलनी होगी जिससे की अधिक से अधिक जांच हो सके तथा ज्यादा से ज्यादा संक्रमित मरीजों का पता चल सके। साथ ही साथ उन्हें आइसोलेट कर और लोगो तक महामारी को फैलने से रोका जा सके, अन्यथा एकदम आंकड़े सामने आने पर समस्या और विकराल रूप धारण कर सकती है। लॉक डाउन से भारत को फायदा तो हुआ है। लेकिन कम जांच की वजह से भारत में एकदम मरीजों की संख्या में इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी भारत में कोरोना की जांचों का कम होना चिंता का विषय बताया है, तथा एक अन्य अनुसंधान संस्था Cov-Ind 19 ने भी भारत में जांच संबंधी विषय में लगभग विश्व स्वास्थ्य संस्थान जैसी ही राय दी है। भारत में लगभग 135 करोड़ जनसंख्या है, और आज दिनांक 17. अप्रैल. 2020  की स्थिति में भारत में कुल सरकारी लैबों की संख्या 176 और कुल प्राइवेट लैब 80 हैं। साथ ही 3 सरकारी कलेक्शन साईट हैं। यानी की 1 करोड़ आबादी पर कुल 2 लैब भी उप

अगर निजी चिकित्सा तंत्र भी ईलाज में आगे आये तो कोरोनावायरस पीछे जाये।

अभी तक नोवल कोरोनावायरस पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले चुका है। प्रतिदिन कई नये संक्रमित व्यक्तियों का पता चल रहा है। पर भारत के लिये अच्छी बात ये है, कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अभी तक भारत में इस बीमारी का प्रसार अन्य देशों की अपेक्षा कम है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इसका एक कारण भारत में अन्य विकसित देशों की अपेक्षा कम जांच का होना भी अनुमानित किया गया है। लेकिन यह कारण सही न हो तो ही अच्छा है। क्योंकि यह माना जाता है, कि भारत में अन्य विकसित देशों की अपेक्षा तथा भारत की जनसंख्या के हिसाब से उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधायें कम हैं। तो ऐसी स्थिति में निजी चिकित्सा - अस्पताल यूनिट के साथ निजी लेबॉट्री यूनिट को आगे आकर कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए उपचार तथा जांच की सेवा में सरकार तथा अन्य संगठनों के साथ मिलकर या स्वतंत्र रूप से शोध, चिकित्सकीय, पैरामेडीकल स्टाफ, तकनीकी सहायता प्रदान कर समाज तथा मानवता के हित में काम करना चाहिए। भारत सरकार द्वारा जब कोरोनावायरस का ईलाज आयुष्मान भारत योजना में शामिल कर लिया गया है। तो भारत के निजी अस्पतालों तथा संक्रमण परीक्षण लै