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आत्मनिर्भर राहत पैकेज मजदूरों को तत्कालीन राहत देने में असमर्थ रहा।

आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा होते ही अप्रवासी मजदूरों की वर्तमान उम्मीदों को एक और झटका लगा। क्योंकि आत्मनिर्भर पैकेज में जो घोषणायें की गई हैं। वह सभी मजदूरों को तुरंत राहत देने वाली नजर नहीं आ रहीं है। सरकार द्वारा की गई घोषणाओं में भविष्य पर ज्यादा जोर दिया गया है। जबकि सरकार द्वारा  अभी आम गरीब जनता और मजदूरों को सबसे पहले उनके घर पहुंचाना और उनको भरण पोषण के लिए आवश्यक सामान उपलब्ध कराया जाना सबसे ज्यादा जरूरी था। साथ ही सरकार को मजदूरों को अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए नकद पैसे देने की घोषणा भी पैकेज में करनी चाहिए थी। क्योंकि अभी तक मजदूरों को जो कुछ भी आर्थिक मदद मिली है वह मनरेगा योजना में पंजीकृत मजदूरों तक ही सीमित है। लेकिन सरकार शायद उन तमाम मजदूरों को भूल गई है, जो मनरेगा में पंजीकृत नहीं है। तथा तमाम ठेला चालक, गुमटी वाले, दुकानों पर काम करने वाले मजदूर, फैक्ट्री में कार्यरत लेवर आदि की मदद के लिए कोई भी सरकार अभी तक प्रयास करती हुई दिखाई नहीं दी है। इन सभी वर्ग के मजदूरों को, जो आशा प्रधानमंत्री के संबोधन में 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के जिक्र से बंधी थी,  वह जल्द ही व
हाल की पोस्ट

अब देश को अनलॉक करने की तैयारी। क्या होगी रणनीति।

आज कल हर तरफ लॉकडाउन-5 की चर्चा हो रही है, कि क्या होगा, आगे देश कैसे खुलेगा। अब सरकार ने इसकी गाइड लाइन जारी कर दी है गाइड लाईन के अनुसार केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 5 के नियम जारी कर दिए हैं। गृह मंत्रालय ने देश को नियमों अनुसार खोलने की रूपरेखा तय की है। कंटेनमेंट जोन के बारे में सभी कर्टेनमेंट जोन में 30 जून तक लॉकडाउन बदस्तूर जारी रहेगा। अभी देश के 12 राज्यों के 30 शहरों में कंटेंटनमेंट जोन हैं।कंो कंटेनमेंटन में 30 जून तक लॉकडाउन कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन 30 जून, 2020 तक लागू रहेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी लेने के बाद जिला अधिकारियों द्वारा कंटेनमेंट जोन तय किया जाएगा। कंटेनमेंट जोन में सिर्फ बेहद जरूरी गतिविधियों की इजाजत दी जाएगी। मेडिकल इमरजेंसी सर्विसेस और जरूरी सामान और सेवाओं की सप्लाई को छोड़कर इन कंटेनमेंट जोन में लोगों की आवाजाही पर सख्ती से रोक रहेगी। कंटेनमेंट जोन में गहराई से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग होगी। घर-घर जाकर निगरानी की जाएगी।अ अन्यजरूरी मेडिकल कदम उठाए जाएंगे। नाईट कर्फ्यू देशभर में रात का कर्फ्यू जारी रहेगा। हालांकि स

अच्छी खबर : इजरायल ने किया Covid-19 का ईलाज ढूंढने का दावा।

कोरोनावायरस को लेकर पूरा विश्व परेशान है। हर देश में कोरोनावायरस के संक्रमितों की संख्या बढ़ रही हैं। और ईलाज न मिलने के कारण लोग डरे हुए हैं। और इसकी रोकथाम का एकमात्र उपाय लॉक डाउन का हर देश सहारा ले रहा है। साथ ही कई देश और संस्था इन बीमारी के ईलाज ढूंढने में लगी है। जिसमें हर किसी को विशेष सफलता हाथ नहीं लगी है। लेकिन इजरायल द्वारा रविवार-सोमवार को जारी आधिकारिक बयान से लोगों के लिए खासी उम्मीद की किरण जगी है। इजरायल द्वारा जारी बयान में उनको बड़ी सफलता मिलने का दावा किया गया है।  रक्षा मंत्री बेनेट ने कहा, "मुझे इस महत्‍वपूर्ण सफलता के लिए संस्थान के कर्मचारियों पर गर्व है, उनकी रचनात्मकता ने इस उपलब्धि की खोज का मार्ग प्रशस्‍त किया"। पूरे विश्व को ईलाज की उम्मीद बंधी है। पूरी दुनिया को त्रस्त कर देने वाले कोरोनावायरस को हराने वाली वैक्सीन का बेसब्री से इंतजार है। इजरायल ने दावा किया है कि Covid-19 के ईलाज को लेकर दुनिया का इंतजार अब खत्म होने ही वाला है। इजरायल ने कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा किया है ।इस बात का आधिकारिक ऐलान इजरायल के रक्षा मंत्री नफताली बेन्नेट किया

आखिरकार देर आये, पर दुरुस्त आये। लेकिन कितने दुरुस्त देखना होगा?

आज मजदूर दिवस है। लेकिन मजदूर की आज क्या दशा हो रही है वो तो सब देख ही रहे हैं। वैसे भी हर साल मजदूर दिवस पर कौन सा मजदूरों के लिए विशेष कुछ किया जाता है। शायद कुछ ही ऐसे लोग होंगे जिन्हें इस दिन के बारे में पता भी होगा। अगर बात करें मजदूर वर्ग की करें। तो सिर्फ एक लाईन ही है, जो इनके बारे में सबकुछ बयान कर सकती है कि अर्थव्यवस्था का सबसे अहम अंग होने के बाबजूद लगातार इनका शोषण होता ही जा रहा है। लेकिन लॉकडाउन में तो इनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो गई है। जिसकी जानकारी का शायद ही आज भारत में कोई मोहताज हो।  खैर काफी देर से ही सही केंद्र सरकार ने मजदूरो के घर वापस जाने के लिए अनुमति दे दी है। जिसकी विस्तृत नियमावली तैयार की गई है। जो यह बताती है, कि इन मजदूरों को किस प्रकार घर भेजा जाएगा। तथा इन्हें किन किन प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। उसके बाद मजदूर अपने राज्य अपने घर जा सकते हैं। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अपने राज्य के मजदूर अन्य राज्यों से वापस लाने तथा अपने राज्य से अन्य राज्यों के मजदूर को भेजने की कागजी तैयारी व अन्य व्यवस्थाओं को लागू करने का जिम्मा दिया है। हालांक

अकेले कोविड-19 का ही ईलाज जरूरी है? या अन्य बीमारियों का ईलाज भी निरंतर जारी रखना होगा।

आजकल हर तरफ कोविड-19 का प्रभाव है। इससे कुछ भी अछूता नहीं है। यह प्रभाव अस्पतालों में सबसे ज्यादा है, साथ ही उन अन्य प्रक्रियाओं व सेवाओं पर जो स्वास्थ्य व चिकित्सा से संबंधित हैं। क्योंकि कोविड-19 एक स्वास्थ्य आधारित समस्या है। तो जाहिर सी बात है, कि स्वास्थ्य व चिकित्सा क्षेत्र पर ही इसका सर्वाधिक प्रभाव होगा। लेकिन कई अस्पतालों में कोविड-19 का प्रभाव कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। जैसे कि कई छोटे बड़े शहरों के सरकारी अस्पताल में इस बीमारी के वजह से अन्य रोगों के उपचार की व्यवस्था लगभग खत्म सी ही हो गई है। कई अस्पतालों में तो ओपीडी व्यवस्था ही बंद कर दी गई है। कोविड-19 का प्रभाव इतना ज्यादा है, कि कुछ जिला चिकित्सालय तक में अन्य बीमारियों के मरीजों की भर्ती व ईलाज की प्रकिया को ही लगभग बन्द सा कर दिया गया है। इसके लिए अस्पतालों तथा स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा यह योजना बनाई गई है, कि सिर्फ अति गंभीर स्थिति में ही किसी और बीमारी के मरीज को भर्ती किया जाएगा। बाकि सभी लोग भगवान भरोसे छोड़ दिए गए हैं। इसके अलावा आलम यह है, कि कई जगहों पर वर्षो से लगातार चल रहे बच्चों के टीकाकरण, कई

आपदा में टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग सेवा मुफ्त हो, तो बात बने।

आज इस आपदा की स्थिति में उन टेलीकॉम कंपनी तथा डीटीएच कंपनी को अपनी सुविधाएं पूर्णता मुफ्त कर देनी चाहिए थी। जो भारत में कार्यरत हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। सोचने वाली बात है, जब यह कम्पनियां अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए महीनों-सालों तक असीमित सुविधाओं को मुफ्त देने का साहस रखती हैं, और अपनी ग्राहक श्रृंखला बढ़ाने के लिए समय समय पर तमाम सस्ते व मुफ्त सेवाओं के ऑफर देती रहती हैं। तो आज इस आपदा की घड़ी में भी इन कम्पनियों को अपनी सेवाएं मुफ्त नहीं कर देना चाहिए?  इससे भारत को और भारत की जनता को इस कोरोनाकाल व लॉकडाउन का सामना करने में काफी मदद मिलेगी। इसके लिए सरकार को भी आगे आकर प्रयास करने होंगे। अभी जब तक लॉकडाउन है, तब तक के लिए, भारत सरकार तथा ट्राई को टेलीकॉम व ब्रॉडकास्टिंग कम्पनियों से बात कर दूरसंचार व प्रसारण सेवाओं को मुफ्त कराने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान इन सेवाओं की महत्ता व आवश्यकता और बढ़ गई है। इसके अलावा वर्तमान हालातों में इन सुविधाओं को मुफ्त किया जाना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि कोविड-19 के संक्रमण के खतरे से पूरा भारत लॉकडाउन है। बिना काम लोग

अप्रैल.29.2020 को क्या वाकई कोई ग्रह पृथ्वी से टकराएगा? इस बारे में क्या हैं वैज्ञानिक राय?

अभी काफी दिनो से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट खूब आग की तरह धड़ल्ले से फैल रहीं है। और हम में से ही कई लोग इस खबर को बिना कुछ सोचे समझे फॉरवर्ड कर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। वर्तमान समय में ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन लाईफ में यह पोस्ट सेकंड नंबर ट्रेंडिंग चर्चा का विषय बन चुका है। यह खबर या पोस्ट इये है, कि कोई ग्रह या पिंड धरती की ओर तेजी से आ रहा है। और 29 अप्रैल 2020 को यह ग्रह या पिंड जो भी है, पृथ्वी से टकरा जायेगा। और सब कुछ तबाह हो जाएगा। इस बात को लेकर लोग खासे परेशान हैं, और परेशान होना भी लाजमी है क्योंकि जैसा कि वायरल पोस्ट में बताया गया है, अगर वैसा होता है, तो कोई व्यक्ति विशेष की जान को ही नहीं, बल्कि पूरी पृथ्वी के अस्तित्व को ही खतरा पैदा हो सकता है। लोग रोज-ब-रोज इस बात को लेकर परेशान हैं, कि यह और पास आ गया है, अब और पास। और सोशल मीडिया पर रोज इसके आने के कम होते हुए दिन गिने जा रहे हैं। जैसे जैसे इसके पृथ्वी के पास आने का समय तारीख नजदीक आ रहे हैं, वैसे ही लोगों में अलग अलग बातों का पनपना शुरू हो गया है। साथ ही डर व बेचैनी का माहौल बढ़ रहा है। यह माहौल उन लोगों के लि

अब मजदूरों की मदद के लिए सरकार को आदेश पारित करना चाहिए, आग्रह से काम नहीं चलेगा।

अब भारत में मजदूरों की समस्या लॉकडाउन की वजह से बढ़ती ही जा रही है,  यह भी सच है, कि अगर लॉक डाउन नहीं होता तो उनकी समस्या और बढ जाती। लेकिन लॉक डाउन को एक महीने से ज्यादा समय हो गया है। पर सरकार की तरफ से अभी तक मजदूरों के भरण पोषण के लिए कोई विशेष प्रयास नहीं किये गये हैं। ऐसा कोई भी सरकारी आदेश सरकार द्वारा नहीं दिया गया है, जो कि इन मजदूरों से काम लेने वालों पर, उनके अधीन कार्यरत मजदूरों की आर्थिक या स्वास्थ्य के प्रति जिम्मेदारी को दर्शाता हो। या कम से कम इन्हें अपने मजदूरों के वेतन भुगतान करने के लिये बाध्य करता हो। अभी एक महीना हो जाने के बाद भी कई मजदूर अपने पुराने वेतन (जिसका लॉक डाउन की वजह से भुगतान नहीं हो पाया था), उस मेहनत की कमाई को पाने के लिये तरस रहे हैं। पर उनके मालिक का अता पता ही नहीं हैं। तथा उन तमाम अप्रवासी मजदूरों के वर्तमान वेतन का क्या होगा, जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता जैसे महानगरों व अन्य बड़ी जगह पर कार्यरत थे, पर लॉक डाउन की वजह से बिना वेतन लिये अपने घर जा चुके हैं या अभी भी राज्यों की सीमाओं के कैंप में रह रहे है। या लॉकडाउन के कारण कहीं और फ