अभी काफी दिनो से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट खूब आग की तरह धड़ल्ले से फैल रहीं है। और हम में से ही कई लोग इस खबर को बिना कुछ सोचे समझे फॉरवर्ड कर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं। वर्तमान समय में ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन लाईफ में यह पोस्ट सेकंड नंबर ट्रेंडिंग चर्चा का विषय बन चुका है। यह खबर या पोस्ट इये है, कि कोई ग्रह या पिंड धरती की ओर तेजी से आ रहा है। और 29 अप्रैल 2020 को यह ग्रह या पिंड जो भी है, पृथ्वी से टकरा जायेगा। और सब कुछ तबाह हो जाएगा। इस बात को लेकर लोग खासे परेशान हैं, और परेशान होना भी लाजमी है क्योंकि जैसा कि वायरल पोस्ट में बताया गया है, अगर वैसा होता है, तो कोई व्यक्ति विशेष की जान को ही नहीं, बल्कि पूरी पृथ्वी के अस्तित्व को ही खतरा पैदा हो सकता है। लोग रोज-ब-रोज इस बात को लेकर परेशान हैं, कि यह और पास आ गया है, अब और पास। और सोशल मीडिया पर रोज इसके आने के कम होते हुए दिन गिने जा रहे हैं। जैसे जैसे इसके पृथ्वी के पास आने का समय तारीख नजदीक आ रहे हैं, वैसे ही लोगों में अलग अलग बातों का पनपना शुरू हो गया है। साथ ही डर व बेचैनी का माहौल बढ़ रहा है। यह माहौल उन लोगों के लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है, जो कि घर में अकेले हैं, मानसिक तनाव में है, जिन्हें समझाने व सही जानकारी देने वालों की संख्या कम हैं या जो लोग कम जागरूक हैं। तो ऐसे में किसी भी ख़बर को फ़ैलाने से पहले सोचना जरूरी है। यह सही है या नहीं। आखिर तारीख 29 अप्रैल 2020 भी आ ही गई। तो अब क्या होगा। आखिर यह पिंड या गोला या ग्रह जो भी है, क्या वह पृथ्वी से टकरायेगा या नहीं? इसका क्या प्रभाव पड़ेगा पृथ्वी पर? और इसके बारे में क्या कहता है, विज्ञान? और क्या मानते हैं, वैज्ञानिक?
आखिर खगोल विज्ञान की दृष्टि में यह क्या है।
सोशल मीडिया पर जिस पिंड या ग्रह को लेकर चर्चा है, वह वैज्ञानिक भाषा में एक एस्टेरॉयड (Asteroid) यानि कि लघु ग्रह या क्षुद्र ग्रह कहलाता है। जिसको वैज्ञानिकों ने 52768 व 1998 ओआर-2 नाम दिया है। ऐसे कई लघुग्रह ब्रम्हांड में होते है। तथा लगुग्रह भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। जिसके कारण यह अपनी धुरी पर चक्कर लगाते हुए अन्य ग्रहों के नजदीक आ जाते हैं। यह एस्टेरॉयड भी अपनी परिक्रमा कक्षा में आगे बढ़ने हुए, धरती के निकट आ रहा है। हालांकि वैज्ञानिक इस पर कई सालों से नजर रखे हुए हैं। और इसके गति, आकार, परिक्रमा पथ तथा अन्य कई तथ्यों के अध्ययन तथा विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों द्वारा इस ग्रह के धरती के पास से गुजरने पर क्या होगा इस पर काफी पहली ही अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। और लगातार इस लघु ग्रह पर नजर रखी जा रही है। तथा अपडेट रिपोर्ट निरंतर और अपडेट की जा रही है। यह बात अलग है, कि वैज्ञानिक खंडन के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से यह ख़बर हमें अभी मिली है। जब इसका समय नजदीक आ गया है।
क्या कहती है वैज्ञानिक रिपोर्ट
कई सालों की मॉनिटरिंग और तमाम तथ्यों के अध्ययन व विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं, कि यह लघु ग्रह धरती के पास से गुजरेगा जरूर लेकिन इससे धरती को कोई नुकसान नहीं होगा। क्योंकि यह लघु ग्रह की धरती से सबसे निकटतम दूरी 29 अप्रैल 2020 को 50 लाख किमी से भी अधिक होगी यानि कि 5 मिलियन किलोमीटर से भी ज्यादा। यह दूरी धरती की चंद्रमा से कुल दूरी के आंकड़े के 10 गुना से भी ज्यादा है। तो साफ है, कि यह लघु ग्रह या एस्टेरॉयड पृथ्वी की घूर्णन कक्षा से दूर से गुजरेगा। जिससे की धरती के लोगों को फिलहाल डरने की कोई जरूरत नहीं है।
फिलहाल शब्द उपयोग करने का क्या कारण हैं।
ऊपर लिखी अंतिम लाईन में फिलहाल शब्द लिखने का कारण यह है, कि इस 52768 व 1998 ओआर-2 नामक लघु ग्रह की गति, आकार, परिक्रमा पथ तथा अन्य कई तथ्यों के अध्ययन तथा विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिकों का मानना है, कि यह लघु ग्रह फिर से साल 2079 में अप्रैल महीने में 16 तारीख को धरती के पास से गुजरेगा। और तब धरती की इस लघु ग्रह से दूरी शायद 18 किलोमीटर होगी। हालांकि इतनी दूरी से भी इस एस्टेरॉयड के धरती के पास से गुजर जाने पर भी नुकसान होने की संभावना नहीं है।
क्या कभी आवश्यकता पड़ने पर ऐसे लघु ग्रह के खतरे को रोका जा सकता है
आज वैज्ञानिक काफी ज्यादा तरक्की कर चुके हैं। इसके अलावा सेटेलाईट के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के माध्यम से सेटेलाईट चित्रों के द्वारा तथा अन्य वैज्ञानिक उपकरण के जरिए प्राप्त जानकारियों की वैज्ञानिक-खगोलीय आधार पर गणना कर तथा अन्य अध्ययन व विश्लेषण के आधार पर वैज्ञानिक पल पल धरती के आसपास के क्षेत्र के साथ सौरमंडल और ब्रम्हांड पर नजर रखे हुए हैं। तभी तो वैज्ञानिकों के द्वारा इस लघु ग्रह का पता काफी समय पहले लगा लिया गया, और धरती से इसकी 29.अप्रैल.2020 को रहने वाली दूरी का पता कर लिया गया। और इतने साल पहले से यह बता दिया गया, (जब अभी तो यह ग्रह 29.अप्रैल.2020 को ही धरती के पास नहीं आ पाया है।) कि यही लघु ग्रह 16 अप्रैल 2079 को धरती के पास से गुजरेगा। और वैज्ञानिक आधार पर इसकी दूरी का आंकलन भी किया जा चुका है। यह दूरी 18 किमी के आस पास होगी जब यह एस्टेरॉयड दोबारा पृथ्वी के पास से गुजरेगा।
तो इस बात से यह समझा जा सकता है। कि आवश्यकता पड़ने पर सौरमंडल में ग्रहों की स्थिति, समय, पृथ्वी से दूरी, गुरूत्वाकर्षण आदि के आधार पर तो वैज्ञानिक ग्रहों की ब्रह्मांड में सटीक स्थिति और धरती से दूरी आदि की गणना कर धरती पर होने वाले खतरे को रोक सकते हैं। इसके साथ ही तकनीकी क्षेत्र में इंजीनियरिंग कौशल, ज्ञान, मशीनों, तमाम उपकरणों के माध्यम से तथा वैज्ञानिक जानकारियों का उपयोग कर कभी भी आवश्यकता पड़ने पर लघु ग्रह, या ब्रम्हांड के अन्य खतरों का धरती पर होने वाले प्रभाव को टाला जा सकता है। और धीरे धीरे विज्ञान व तकनीक उन्नत से और उन्नत ही होती जा रही है। हालांकि उन्नत से और उन्नत होने के लिए जरूरी लिए, है कि हम वैज्ञानिक ज्ञान, तकनीकी कौशल को बढ़ाने के लिए प्रकृति तथा ब्रम्हांड को नुकसान न पहुंचाए।
तो इस बात से यह समझा जा सकता है। कि आवश्यकता पड़ने पर सौरमंडल में ग्रहों की स्थिति, समय, पृथ्वी से दूरी, गुरूत्वाकर्षण आदि के आधार पर तो वैज्ञानिक ग्रहों की ब्रह्मांड में सटीक स्थिति और धरती से दूरी आदि की गणना कर धरती पर होने वाले खतरे को रोक सकते हैं। इसके साथ ही तकनीकी क्षेत्र में इंजीनियरिंग कौशल, ज्ञान, मशीनों, तमाम उपकरणों के माध्यम से तथा वैज्ञानिक जानकारियों का उपयोग कर कभी भी आवश्यकता पड़ने पर लघु ग्रह, या ब्रम्हांड के अन्य खतरों का धरती पर होने वाले प्रभाव को टाला जा सकता है। और धीरे धीरे विज्ञान व तकनीक उन्नत से और उन्नत ही होती जा रही है। हालांकि उन्नत से और उन्नत होने के लिए जरूरी लिए, है कि हम वैज्ञानिक ज्ञान, तकनीकी कौशल को बढ़ाने के लिए प्रकृति तथा ब्रम्हांड को नुकसान न पहुंचाए।
तो किसी को चिंता करने की कोई बात नहीं है। यह 52768 व 1998 ओआर-2 नामक एस्टेरॉयड(Asteroid) या लघुग्रह या क्षुद्रग्रह हमारी पृथ्वी से खगोल विज्ञान व ब्रह्मांडीय दूरी की गणना की भाषा में कहें तो पृथ्वी के पास से अपनी परिक्रमा गति और पथ पर निरंतर भ्रमण करते हुए, बिना किसी नुकसान पहुंचाए गुजरेगा। और आम भाषा में पृथ्वी के काफी दूर से किसी अनजान मेहमान की तरह अपनी मस्ती में अपनी राहों पर होता हुआ आगे निकल जायेगा। तो इस एस्टेरॉयड का नाम लेकर न खुद डरने व परेशान होने की जरूरत है। और न किसी और को डराने व परेशान करने की आवश्यकता है। यह पृथ्वी को कोई हानि नहीं पहुंचाएगा।