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आपदा में टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग सेवा मुफ्त हो, तो बात बने।

आज इस आपदा की स्थिति में उन टेलीकॉम कंपनी तथा डीटीएच कंपनी को अपनी सुविधाएं पूर्णता मुफ्त कर देनी चाहिए थी। जो भारत में कार्यरत हैं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। सोचने वाली बात है, जब यह कम्पनियां अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए महीनों-सालों तक असीमित सुविधाओं को मुफ्त देने का साहस रखती हैं, और अपनी ग्राहक श्रृंखला बढ़ाने के लिए समय समय पर तमाम सस्ते व मुफ्त सेवाओं के ऑफर देती रहती हैं। तो आज इस आपदा की घड़ी में भी इन कम्पनियों को अपनी सेवाएं मुफ्त नहीं कर देना चाहिए?  इससे भारत को और भारत की जनता को इस कोरोनाकाल व लॉकडाउन का सामना करने में काफी मदद मिलेगी। इसके लिए सरकार को भी आगे आकर प्रयास करने होंगे।

अभी जब तक लॉकडाउन है, तब तक के लिए, भारत सरकार तथा ट्राई को टेलीकॉम व ब्रॉडकास्टिंग कम्पनियों से बात कर दूरसंचार व प्रसारण सेवाओं को मुफ्त कराने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान इन सेवाओं की महत्ता व आवश्यकता और बढ़ गई है। इसके अलावा वर्तमान हालातों में इन सुविधाओं को मुफ्त किया जाना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि कोविड-19 के संक्रमण के खतरे से पूरा भारत लॉकडाउन है। बिना काम लोगों की घर से बाहर निकलने की मनाही है। सारी रिचार्ज की दुकानें बन्द हैं, और भारत में अभी भी अत्यधिक लोग ऐसे हैं। जो डिजिटल पेमेंट सिस्टम, या मोबाईल वॉलेट जैसी सुविधाओं की डोर से नहीं बंधे हैं या यूं कहें कि ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम का उपयोग नहीं कर पाते हैं। इनमें से अधिकांश लोग शायद मजदूर और गरीब श्रेणी से ताल्लुक रखते हैं। इसके अलावा कई लोग तो ऐसे हैं, लॉकडाउन की वजह से उनकी आजीविका का माध्यम (काम) बंद होने से उनके पास पेट भरने को अन्न तक नहीं है। और इस अन्न को खरीदने के लिए पैसे भी नहीं है। तो यह अनुमान लगाया जा सकता है, कि उनकी क्या दशा होगी। तो वह इन टेलीकॉम और ब्रॉडकास्टिंग सेवाओं को कहां से अफोर्ड कर पायेंगे। हालांकि ऐसे लोगों के लिए घर तक मुफ्त खाना पहुंचाने की व्यवस्था की गई है। लेकिन इसके लिए भी कॉलिंग सुविधा का होना बहुत जरूरी है। तो ऐसे में दूरसंचार तथा टेलीकॉम सुविधा वर्तमान में प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचे, यह बहुत जरूरी है। क्योंकि लॉकडाउन की स्थिति में यही एक माध्यम है, जो लोगों को आपस में जोड़े रख सकता है। हर जानकारी प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचा सकता है।

आज जहां पूरा देश लॉक डाउन है, और व्यक्तिगत निकटता की निम्नतम दूरी का दायरा  सिमटकर मात्र 1 मीटर रह गया है। ऐसी स्थिति में इन कम्पनियों द्वारा निम्न आय वर्ग, श्रमिक, मजदूर, सूदूर ग्रामीण क्षेत्रीय निवासी तथा आम जनता के लिए यह सुविधाएं मुफ्त कर देनी चाहिए। क्योंकि दूरसंचार व प्रसारण माध्यम आपदा के समय एक बड़ा सहारा बन सकते हैं।

इसके कई सारे फायदे हैं। जैसे मुफ्त सुविधाएं एक हद तक सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने में मददगार हैं। क्योंकि मुफ्त इंटरनेट तथा मुफ्त डीटीएच उन लोगों पर अंकुश लगा सकता है, जो बेवजह घर से बाहर आ रहे हैं। शायद मुफ्त इंटरनेट व मुफ्त ब्रॉडकास्टिंग लोगों को टी.व्ही. और मोबाईल में व्यस्त रख घर में रहने में मदद कर सकता है। साथ ही वर्तमान में गरीब मजदूर तबके के साथ हर व्यक्ति को इन सुविधाओं की बहुत जरूरत है। क्योंकि यह सुविधा मनोरंजन, आपसी संपर्क, सूचना प्राप्ति, मेडीकल अर्जेंसी, आवश्यक वस्तुओं की प्राप्ति से लेकर तमाम चीजों के संचालन हेतु जरूरी हैं। 

जब स्थिति यह है, कि हाथ मिलाना भी वर्जित है। कहीं आना जाना मना है। तो ऐसी स्थिति में इंटरनेट सुविधा व प्रसारित मीडिया चैनल ही वायरस के संबंध में तमाम जानकारी, बीमारी के रोकधाम के उपाय, लगातार प्राप्त होने वाले अपडेट तथा सरकारी सुविधा व योजनाओं-घोषणाओं के विषय में आवश्यक जानकारी को अति तीव्रता के साथ जन-जन तक पहुंचा सकती हैं। तो वर्तमान सूरत में इन सुविधाओं के फायदे को देखते हुए, कम से कम जब तक लॉक डाउन का माहौल है, इन सुविधाओं को मुफ्त कर देना चाहिए।

क्योंकि बिना मुफ्त दूरसंचार सेवाओं के कई सारी सुविधा पूर्ण कारगर नहीं हो पाएंगी। जैसे कि आरोग्य सेतु एप भारत सरकार द्वारा लॉन्च किया गया है, ताकि इसके माध्यम से सरकार लोगों तक हर जानकारी को पहुंचा सके। तथा व्यक्ति अपने मोबाईल के माध्यम से सभी जानकारी, हर अपडेट को प्राप्त कर सकें। हॉटस्पॉट जोन, मरीजों के आंकड़े से संबंधित, मेडीकल सलाह व अन्य सूचनाएं प्राप्त कर सकें। इस एप के माध्यम से सरकार भी हॉटस्पॉट जोन और व्यक्तियों की मॉनिटरिंग कर रही है। लेकिन अगर किसी के पास इंटरनेट ही ना हो तो यह एप उस व्यक्ति को क्या मदद कर पायेगा और ऐसे कई लोग हैं जिनके पास इंटरनेट सुविधा फिलहाल नहीं होगी। तो सरकार को भी आरोग्य सेतु से उतनी सहायता नहीं मिल पायेगी, जितनी कि सरकार को इससे उम्मीद है।

इसके अलावा सरकार-प्रशासन तथा निजी संस्थान द्वारा जरूरतमंदों को खाने का सामान मुफ्त में देने तथा होम डिलेवरी के साथ साथ कई सारी आवश्यक सेवाओं की घर बैठे सुविधा देने की योजना बनाई गई है। लेकिन अगर किसी पर कॉलिंग सुविधा ही नहीं तो वह किस माध्यम से इन सुविधाओं के लिए संपर्क कर पायेगा। और यह होम डिलीवरी और अन्य सुविधा एक दिखावा वन कर रह जाएगी। और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं के लिए लोग बाहर आयेंगे जिससे कि सोशल डिस्टेंस का बना रहना मुश्किल होगा। यही बातें पैसों से इन सुविधाओं (होम डिलेवरी) को लेने वाले लोगों पर भी लागू की जा सकती हैं। क्योंकि किसी व्यक्ति के पास पैसे होने से यह अनुमान नहीे लगाया जा सकता कि उसके पास कॉलिंग सुविधा हो ही। तो इन सेवाओं के सुचारू संचालन व पूर्ण कार्यगर होने में मुफ्त टेलीकॉलिंग सुविधा बड़ा योगदान अदा कर सकती हैं।

अगर इंटरनेट की सुविधा मुफ्त नहीं दी जा सकती है, तो कम से कम पूर्णता मुफ्त कॉलिंग सुविधा बिना किसी टैरिफ और प्लान की बाध्यता के समस्त कंपनी द्वारा सभी ऑपरेटर को देनी चाहिए। क्योंकि मुफ्त कॉलिंग सुविधा के माध्यम से व्यक्ति आपातकालीन स्थिति में डॉक्टर, अस्पताल, एम्बुलेंस, सरकार व प्रशासन को कॉल कर सकता है। किसी बारे में जानकारी हेतु या सामान्य बातचीत हेतु लॉकडाउन के माहौल में अपने रिश्तेदार व परिजन से संपर्क में रह सकता है। यह लोगों में  सकरात्मक्ता लिए आवश्यक है, कि वह लॉकडाउन की स्थिति में अपने परिजन के संपर्क में रहे। जैसे की वह सभी मजदूर जो अन्य राज्यों में फंसे हुए है, उन्हें तथा उनके परिवार को मुफ्त कॉलिंग सुविधा से काफी सकरात्मक्ता मिलेगी। क्योंकि यह मजदूर अपने परिवार से मिल तो नहीं पा रहे हैं, कम से कम आपस में बात ही कर सकें। और बात करने के लिए मुफ्त कॉलिंग सुविधा होना जरूरी है। क्योंकि इन दिनों हर किसी के मोबाईल में बैलेंस होने की कोई गारंटी नहीं है। और इन हालातो में 100-50 रूपए का बैलेंस नहीं पूर्णता मुफ्त कॉलिंग सुविधा की जरूरत है।

टेलीकॉम तथा डीटीएच कंपनी अगर चाहे तो अपनी सेवाएं मुफ्त कर सकती हैं, आज देश और समाज को इनकी जरूरत है। इससे कोरोनाकाल में आम जनता को काफी फायदा हो सकता है। हालांकि इससे कम्पनियों का मुनाफा काफी कम हो जायेगा, साथ ही मुफ्त सेवा देने से उल्टा घाटा और होगा। पर इन कंपनियों में यह क्षमता है, कि वे विपरीत हालातों में ऐसा कर सकती हैं। क्योंकि इनके द्वारा अपने व्यापार के विस्तार तथा ग्राहक संख्या बढ़ाने के लिये, पहले भी मुफ्त सेवाएं दी जा चुकी है। तो आज तो आपदा के बीच इन सेवाओं को देने की बात है। साथ ही सरकार आर्थिक सहायता देकर इस काम में कम्पनियों की मदद कर सकती है। आर्थिक सहायता देने के आलावा इन सेवाओं पर लगने वाले विभिन्न टैक्स भी हटाए जा सकते है। इससे कम्पनियों को काफी राहत मिलेगी। और भारत की जनता को भी यह मुफ्त सुविधाओं का मिलना वर्तमान समय में बहुत ही मददगार होगा।

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