अभी तक नोवल कोरोनावायरस पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले चुका है। प्रतिदिन कई नये संक्रमित व्यक्तियों का पता चल रहा है। पर भारत के लिये अच्छी बात ये है, कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार अभी तक भारत में इस बीमारी का प्रसार अन्य देशों की अपेक्षा कम है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा इसका एक कारण भारत में अन्य विकसित देशों की अपेक्षा कम जांच का होना भी अनुमानित किया गया है। लेकिन यह कारण सही न हो तो ही अच्छा है। क्योंकि यह माना जाता है, कि भारत में अन्य विकसित देशों की अपेक्षा तथा भारत की जनसंख्या के हिसाब से उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधायें कम हैं। तो ऐसी स्थिति में निजी चिकित्सा - अस्पताल यूनिट के साथ निजी लेबॉट्री यूनिट को आगे आकर कोरोनावायरस महामारी को रोकने के लिए उपचार तथा जांच की सेवा में सरकार तथा अन्य संगठनों के साथ मिलकर या स्वतंत्र रूप से शोध, चिकित्सकीय, पैरामेडीकल स्टाफ, तकनीकी सहायता प्रदान कर समाज तथा मानवता के हित में काम करना चाहिए।
भारत सरकार द्वारा जब कोरोनावायरस का ईलाज आयुष्मान भारत योजना में शामिल कर लिया गया है। तो भारत के निजी अस्पतालों तथा संक्रमण परीक्षण लैबों को मुफ्त कोरोनावायरस की जांच तथा मुफ्त ईलाज की सुविधा देनी चहिए। ताकि सरकारी लैबों के साथ प्राइवेट लैबों के द्वारा अधिक से अधिक सैंपलों की जांच कर ज्यादा से ज्यादा संक्रमित मरीजों का ईलाज किया जा सके। और इस बीमारी के प्रसार को ज्यादा ज्यादा लोगों तक पहुंचने से रोका जा सके।
इसके लिये प्राइवेट मेडिकल यूनिट के द्वारा आयुष्मान भारत के साथ साथ राज्य की स्वास्थ्य योजनाओं की मदद ली जा सकती है। जिससे इनकी वित्तिय समस्या का भी एक हद तक समाधान किया जा सकता है।
इसके अलावा जैसा की सर्वविदित है, कि सरकार तथा मंत्रालयों द्वारा निजी अस्पतालों तथा प्राइवेट लैब व चिकित्सा संबंधी उद्योगों लिये कई अनुदान दिये जाते हैं। मुफ्त तथा रियायती दरो पर भूमि उपलब्ध कराई जाती है। निर्माण सामग्री तथा अन्य चिकित्सकीय समान पर टैक्स में राहत दी जाती। शोध प्रक्रियाओं में सरकारी तंत्र द्वारा आर्थिक तथा अन्य भौतिक सुविधा दी जाती हैं। तथा ऐसे अन्य कई फायदे हैं, जो इन्हें प्राप्त हैं। ये सुविधाएं इन्हें इसलिए दी जाती हैं, ताकि ये समाज के कमजोर वर्ग का मुफ्त या सस्ता ईलाज करे। तथा सरकारी चिकित्सा तंत्र को आवश्यकता पड़ने पर मदद करें।
आज वही समय है, जब प्राइवेट चिकित्सा यूनिट को अपनी इस भूमिका का निर्वाह करना चाहिए। तथा जैसा की इनके अनुदान प्राप्त करने की शर्तों, सरकारी सहायता प्राप्त करने की नीतियों, तथा लाइसेंस प्रकिया में शामिल होता है। लेकिन भारत के प्राइवेट मेडिकल यूनिट द्वारा अधिकतर ऐसा करते हुए, देखने को नहीं मिलता। लेकिन आज कोरोनावायरस महामारी के समय में तो इन्हें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। साथ ही साथ मानवता के नाते तो यह करना अति आवश्यक है।
हालाकि भारत के कुछ प्राइवेट लैब द्वारा कोरोनावायरस की जांच की का रही है। जो कि अच्छा काम है, जिससे कि अधिक से अधिक लोगों की जांच हो सकेगी। पर यह जांच की कीमत काफी ज्यादा है, जो कि गरीब व्यक्ति के वश के बाहर है। तो ऐसी स्थिति में जब बीमारी गरीब अमीर का भेद नहीं समझती। सभी पर समान हमला करती है। यह उच्च दर पर जांच जो सिर्फ अमीर ही करवा सकते है, समाज की मानसिकता में एक नई खाई खोद सकती है। जो कि इनमें नकारात्मकता की भावना का विकास कर सकती है। व्यक्ति की इम्यूनिटी को कम कर सकती है। जबकि कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में यह इम्यूनिटी तथा सकरात्मक्ता काफी अहम हैं।
आज निजी चिकित्सा तंत्र को समाज व देशहित में अपनी कुछ जरूरी मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं के साथ साथ कोरोनावायरस की जांच तथा ईलाज को मुफ्त कर देना चाहिए। इस इलाज में आइसोलेशन के लिये उपयुक्त स्थान, स्टाफ, दवा, चिकित्सकीय शोध, उपकरण आदि भी शामिल हो सकते हैं। यह सब इनकी समाज के प्रति सामाजिक कल्याण नीति के अन्तर्गत ही है। निजी चिकित्सकीय मदद से इस महामारी को और जल्द खत्म किया जा सकता है। इससे सरकार को भी काफी मदद मिलेगी। तो निजी ईलाज की मदद लोगों तक जितनी जल्दी आयेगी, महामारी उतनी जल्दी जायेगी। यह कहना गलत नहीं होगा।
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